जिया करते थे जो सब प्यार की जिंदगी
जी रहे है आजकल जैसे उधार की जिंदगी
रफ्तार सी है रूह में, ना जाने क्या पाने की
अचानक यू बदल गई फितरत जमाने की
एक दूसरे के लिए हम होते थे फिक्रमंद
अब तो रिश्ते और दोस्ती रह गई चंद
ऑनलाइन पर फ्रेंड्स रिक्वेस्ट बेशुमार है
बात करने देखा तो कही दो कही सिर्फ चार है
मकसद जीवन का शायद हम रहे है भूल
अनजानी मंजिल को पाने में हो गए मशगूल
वो खिलखिलाहट, वो मस्ती , वो अपनापन
मायूस हो कर बैठा आदमी, जैसे था कोई स्वप्न
आओ फिर मिले, गले लगे , भूल जाए सोशल मीडिया
संग बैठ देखे आकाश की ओर, गिने कौए और चिड़िया
जीवन में चलता रहेगा ये खयाली आना जाना
बस रहेगा साथ गर कुछ , वो अपनो के संग मुस्कुराना